नगरायुक्त के इस आईडिये को पूरे प्रदेश में लागू करने का बन गया प्लान
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। नगरायुक्त महेन्द्र सिंह तंवर ने निगम की उन दुकानों के किराये में वृद्धि का प्रस्ताव दिया था जिन दुकानों का किराया कई वर्षों से नहीं बढ़ा है। नगरायुक्त ने निगम की दुकानों में किराया वृद्धि को लेकर जब प्रस्ताव दिया तो भाजपा के ही पार्षदों ने ही इसका विरोध किया। पार्षद राजीव शर्मा ने इसे व्यापारी विरोधी बताया और उन्होंने जलूस से लेकर निजी मुलाकातों के जरिये किराया कम कराने का महौल बनाया। इसके बाद निगम के पूर्व कार्यकारिणी उपाध्यक्ष अनिल स्वामी इस प्रस्ताव के विरोध में आये और उन्होंने कहा कि निगम एक्ट कहता है कि किराये में बढ़ोत्तरी नहीं हो सकती और उन्होंने निगम एक्ट का हवाला भी दिया। भाजपा के पार्षदों ने निगम सदन में इस प्रस्ताव का विरोध किया तो निगम प्रशासन ने ये प्रस्ताव ही शासन को भेज दिया। खबर ये है कि जिस प्रस्ताव का विरोध भाजपा के पार्षद, भाजपा के विधायक कर रहे हैं उस प्रस्ताव को हरी झंडी ही भाजपा सरकार देने जा रही है। सूत्र बताते हैं कि निगम के विजनरी अफसर के रूप में अपनी सफलता का झंडा गाडने वाले नगरायुक्त के इस आईडिये को सरकार ने पसंद किया है और सूत्र बताते हैं कि गाजियाबाद में भले ही इस कानून को लेकर कितना घमासान मचता रहे लेकिन नगरायुक्त के इस आईडिये को सरकार अब पूरे प्रदेश में लागू करने जा रहीं है। निगम की दुकानों का किराया पूरे प्रदेश में बढ़ेगा। केवल गाजियाबाद ही नहीं केवल उत्तर प्रदेश के 16 नगर निगमों में किराये की दुकानों में किराया वृद्धि होगी।
25 वर्षों का नहीं होगा हिसाब और 10 गुना के हिसाब से बढ़ेगा किराया
जो लोग निगम की दुकानों में किरायेदार हैं उनके लिए राहत की बात ये है कि 25 वर्षों से किराया बढ़ाने वाला नियम लागू नहीं होगा। सूत्र बताते हैं कि 25 वर्षों से किराये का हिसाब नहीं लिया जाएगा और नया किराया 10 गुना बढ़ोत्तरी के साथ आयेगा। सूत्र बताते है कि नगरायुक्त महेन्द्र सिंह तंवर के इस आईडिये को सरकार ने पसंद किया है। यहां पर किराया बढ़ोत्तरी को लेकर मौजूदा किराये के साथ प्लान बनेगा। जब शासनादेश आयेगा तभी से किरया वसूली का भी आदेश लागू होगा। सूत्र बताते हैं कि प्रतिवर्ष दुकानों के किराये नये सिरे से तय किये जाने का भी प्रस्ताव आ सकता है।
गाजियाबाद में 1702 दुकानों से आता है एक साल में 76 लाख रूपए किराया
जिस निगम की दुकानों में किराये का विरोध हो रहा है उस निगम की इन दुकानों की जानकारी सरकार के पास पहुंची है। वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड ने जब पूरे प्रदेश के नगर निगम से उनकी किराये की सम्पत्तियों और इन सम्पत्तियों से होने वाली आय की जानकारी मांगी तो पता चला कि गाजियाबाद नगर निगम के पास 1280 दुकाने हैं, 422 ठिये हैं और इनकी संख्या 1702 बैठती है। इन दुकानों से गाजियाबाद नगरनिगम को एक साल में मात्र 76 लाख रूपए की आमंदनी होती है। इन दुकानों का किराया भी लगभग 300 रूपए से लेकर 1500 रूपए महीने का है। सबसे बड़ी बात ये है कि ये सभी दुकानें शहर की प्राईम कॉमर्शियल लॉकेशन पर हैं।
शासन से जल्द ही पास होकर लागू हो जाएगा किराया प्रस्ताव
नगर निगम की दुकानों के किरायेदार इस बात से अपडेट रहें कि जल्द ही निगम की किराये वाली दुकानों का किराया बढ़ जायेगा। वित्तीय संसाधन विकास बोर्ड ने शासन को भेजे प्रस्ताव में कहा है कि निगम की दुकानों का किराया बढ़ाकर निगम की माली हालत ठीक की जा सकती है। इन दुकानों ने बाजार दर पर किराया वसूला जायेगा। गाजियाबाद में ही किराया बढ़ोत्तरी होने के बाद जो आमंदनी अभी 76 लाख रूपए है वो करोड़ों रूपए में आ जाएगी।
Discussion about this post