गाजियाबाद (करंट क्राइम)। समाजवादी पार्टी निगम और निकाय चुनाव में आ रही है। उसने ऐलान कर दिया है और मैनपुरी उपचुनाव में रिकॉर्ड जीत के बाद अब उसके उम्मीदवार निगम और निकाय के वार्ड में भी दिखेंगे। मेयर और नगरपालिका परिषद के अध्यक्ष पद के लिए भी आयेंगे। लेकिन साईकिल वालों को दफ्तर पार्षद बनने वाले हसरती चेहरों की दावेदारी से तो गुलजार है मगर मेयर टिकट को लेकर उसकी साईकिल की बहुत ही स्लो रफ्तार है। ना कहीं दावा दिख रहा है ना कहीं दावेदार नजर आ रहे हैं। जिन समाजवादियों से उम्मीद थी कि वो ताल ठोकेंगे उनमें से अब तक कोई भी समाजवादी चेहरा मेयर दावेदार बनकर समाजवादी दफ्तर पर नजर नहीं आया है। संगठन के दोनों अध्यक्ष कार्यवाहक हैं और वो दावेदार का ही इंतजार कर रहे हैं। मगर मेयर चुनाव का कोई चेहरा अभी तक बॉयोडाटा लेकर नही पहुंचा है। नगर निगम के रण में कहीं से भी कमजोर नही है समाजवादी
ये सत्य है कि मेयर वाली चेयर पर निगम के गठन के बाद से ही भाजपा का कब्जा रहा है लेकिन यहां पर समाजवादी पार्टी को हल्के में लेना सियासी भूल होगी। यहां समाजवादी पार्टी अगर विनर नही बनती है तो वो रनरअप जरूर रहती है। दमयंती गोयल जब मेयर बनी थीं तो सपा की अंजुला नागपाल दूसरे स्थान पर
रहीं थीं।
तेलूराम काम्बोज जब मेयर बने थे तो सूधन रावत रिक्शे वाले चुनाव चिन्ह के साथ सपा समर्थक उम्मीदवार के रूप में रनरअप रहे थे। केवल पांच वोटों के सहारे सौ वोटों वाले सदन में जिसमें 57 पार्षद भाजपा के हों वहां अपने साईकिल सवार को जिताकर जीडीए बोर्ड सदस्य में लाना सपा का ही कमाल है। महानगर अध्यक्ष रहते हुए राहुल चौधरी ने इस गेम को साईकिल के नाम किया था। हाजी आसिफ चौधरी को जीडीए बोर्ड सदस्य बनवाया था।