महानगर अध्यक्ष भी लड़ सकते हैं मेयर वाला चुनाव
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। संगठन के कामकाज को देखते हुए संगठन के दायित्व को संभालते हुए बहुत से नेता हैं जो चुनावी राजनीति में पहुंचे हैं। चुनाव लड़े हैं और जीतकर सरकार में मंत्री भी बने हैं। अब जब उत्तर प्रदेश में निकाय और निगम चुनाव दस्तक दे चुके हैं तब ये सवाल अक्सर उठता है कि क्या संगठन के लोग चुनाव नही लड़ सकते।
सवाल का जवाब रविवार को लखनऊ में भाजपा प्रदेश कार्यालय पर आयोजित एक बैठक में मिला। बैठक प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी और प्रदेश संगठन महामंत्री धर्मपाल के नेतृत्व में ली गयी। इस बैठक में जिलाध्यक्ष, महानगर अध्यक्ष, जिलाप्रभारी, महानगर प्रभारी बुलाये गये थे। इस बैठक में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने जो कहा उनके शब्दों से दावेदारी का पूरा सीन ही स्पष्ट हो गया। भूपेन्द्र चौधरी ने कहा कि जो भी महानगर अध्यक्ष मेयर चुनाव में जो भी जिलाध्यक्ष नगरपालिका परिषद चेयरमैन चुनाव में जाने की तैयारी कर रहे हैं वो तैयारी भी करें और दावेदारी भी करें।
यहां पर प्रदेश अध्यक्ष ने एक तरह से दावेदारी की टर्म एंड कन्डीशन तय कर दी। स्पष्ट कर दिया कि जो भी अध्यक्ष मेयर चुनाव में जाने की तैयारी करेगा वो कोर वाली बैठक में भाग नही ले सकेगा। बहरहाल प्रदेश अध्यक्ष के शब्दों के बाद अब ये स्पष्ट हो गया है कि महानगर अध्यक्ष मेयर वाला चुनाव लड़ भी सकते हैं और वो दावेदारी भी कर सकते हैं।
दावेदारी करें जरूर लेकिन कोर कमेटी से रहें दूर
भाजपा प्रदेश अध्यक्ष भूपेन्द्र चौधरी ने मेयर चुनाव लड़ने के इच्छुक सभी महानगर अध्यक्षों को स्पष्ट कर दिया है कि वो दावेदारी करें और मजबूती से करें। लेकिन दावेदारी कर रहे चेहरे कोर कमेटी की बैठक से दूर रहेंगे। कोर कमेटी में महानगर अध्यक्ष को नही लिया जायेगा।
भगवा कमान्डर ने मारा लखनऊ से मेयर दावेदारी का शॉट
अभी तक महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा सभी मेयर दावेदारों से उनके बॉयोडाटा महानगर अध्यक्ष के तौर पर ले रहे थे। अपनी दावेदारी को लेकर महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा हमेशा खामोश रहे हैं। महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा की दावेदारी को लेकर अक्सर चर्चा चलती है। वो मेयर पद के लिए ब्राहम्मण समाज से प्रबल दावेदार माने जाते हैं। कार्यकर्ताओं में अब तक के सबसे लोकप्रिय अध्यक्ष ने मेयर दावेदारी का शॉट लखनऊ से मारा है। दैनिक करंट क्राइम ने प्रदेश अध्यक्ष के बयान के बाद जब भाजपा महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा से बात की तो उन्होंने बताया कि वह लखनऊ हैं।
यहां पर करंट क्राइम ने उनकी दावेदारी वाली बात और प्रदेश अध्यक्ष के बयान को लेकर उनसे बात की तो यहां पर करंट क्राइम ने संजीव शर्मा से जब पूछा कि आप मेयर दावेदारी में हो तो अभी तक साईलेंट चल रहा सीन मुखर हो गया। संजीव शर्मा ने कहा कि हां मैं मेयर चुनाव की दावेदारी कर रहा हूं। भगवा कमान्डर ने मेयर दावेदारी का शॉट लखनऊ से मारा। जो अब तक सभी मेयर दावेदारों के बॉयोडाटा ले रहे थे वो अब अपना बॉयोडाटा देते हुए किसके साथ फोटो लगायेंगे ये इंतजार रहेंगा।
महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा ने संशय से पर्दा हटा दिया है और अपनी दावेदारी को बता दिया है।
केवल अपनी विधानसभा के चेहरों के लिए करेंगे विधायक सिफारिश
महानगर अध्यक्ष चुनाव लड़ सकते हैं लेकिन ऐसा करने पर वो कोर कमेटी से दूर रहेंगे। वहीं इस बार विधायकों के लिए भी निर्देश आ
गये हैं।
विधायक अपनी विधानसभा क्षेत्र के पार्षद दावेदारों की पैरोकारी कर पायेंगे, उनकी बात रख पायेंगे। जैसे शहर विधायक अतुल गर्ग केवल शहर विधानसभा क्षेत्र में दावेदारी कर रहे कार्यकर्ताओं की सिफारिश कर सकते हैं। उसी तरह मुरादनगर विधायक अजितपाल त्यागी अपनी विधानसभा के चेहरों की और सुनील शर्मा अपनी विधानसभा के चेहरों की सिफारिश कर सकते हैं।
राज्यसभा सांसद कर सकते हैं केवल अपनी लोकसभा में सिफारिश
राज्यसभा सांसद को लेकर भी गाईडलाईन स्पष्ट कर दी गयी है। राज्यसभा सांसद का क्षेत्र बड़ा होता है। लेकिन मेयर चुनाव में स्पष्ट कर दिया गया है कि राज्यसभा सांसद केवल अपनी लोकसभा में किसी भी कार्यकर्ता के नाम की सिफारिश मेयर टिकट के लिए कर सकते हैं लेकिन अभी मामला पूरी तरह स्पष्ट नही है।
एमएलसी कहेंगे उसी को खास जिस विधानसभा में वो करते हैं निवास
लखनऊ में संगठन की बैठक में सिफारिश की गाईडलाईन तय हो गयी है। अध्यक्ष को चुनाव लड़ना है, दावेदारी करनी है तो कोर कमेटी से दूर रहेंगे।
निगम चुनाव संयोजक क्षेत्रीय स्तर के पदाधिकारी भी यदि मेयर या नगरपालिका परिषद चेयरमैन का टिकट चाहते हैं तो कोर कमेटी से बाहर होना होगा। वहीं एमएलसी के लिए भी गाईड लाईन तय हो गयी है। यदि कोर कमेटी में एमएलसी दिनेश गोयल या एमएलसी नरेन्द्र कश्यप को किसी भी कार्यकर्ता के लिए सिफारिश करनी है तो पहला रूल ये है कि एमएलसी उसी की सिफारिश करेंगे। उसी की पैरोकारी करेंगे जो उनकी विधानसभा में निवास करता हो।
यानी जिले के दोनों एमएलसी केवल मुरादनगर विधानसभा में रहने वाले कार्यकर्ता के चुनावी दावेदारी को सपोर्ट कर सकते हैं। क्योंकि दोनो एमएलसी मुरादनगर विधानसभा में रहते हैं।