किसकी जैकिट कर रही थी उनकी चेयर की रखवाली
वरिष्ठ संवाददाता (करंट क्राइम)
गाजियाबाद। राजनीति में किस्सा कुर्सी का ही रहता है। जिसे देखो वो कुर्सी तक ही पहुंचना चाहता है। कुर्सी का नशा ही ऐसा है कि जो एक चुनाव लड़ गया वो हर योजना में चुनाव लड़ने की चाहत रखता है। राजनीति में कोई भी नेता अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं दिखता। रही बात खाली कुर्सी की, तो अगर किसी को खाली कुर्सी नजर आ जाये तो उसे हासिल करने के तमाम प्रयास किये जाते हैं। साफ तौर पर कहें तो अगर कुर्सी किसी ने अपनी छोड़ दी तो सावधानी हटी दुर्घटना घटी वाली स्थिति उसके साथ हो जाती है।
कई बार ऐसे भी मामले सामने आये हैं कि कुर्सी पर जमें नेताओं के सामने जब कोई बड़ा नेता भी आ जाता है तो फिर उसके सम्मान में कोई भी अपनी कुर्सी छोड़ने को तैयार नहीं रहता है। कार्यक्रम की व्यवस्था देखने वालों से अगल से कुर्सी मंगवाकर नेता जी को तशरीफ रखने की व्यवस्था की जाती है। मगर गाजियाबाद की राजनीति में एक गजब का किस्सा उस वक्त घटता दिखाई दिया जब विधायक सुनील शर्मा की कुर्सी एक घंटा तक खाली रही। नेता मंच पर आये भी और गये भी, लेकिन उनकी कुर्सी पर कोई नहीं बैठा। वजह कुछ भी हो सकती है लेकिन चर्चा जो मौके पर थी वो काफी मजेदार थी।
देखने वालों का फोकस विधायक सुनील शर्मा की नेम प्लेट लगी कुर्सी पर था। उस कुर्सी के बराबर में पूर्व राज्यमंत्री और शहर विधायक अतुल गर्ग बैठे थे। अब ये बाईचांस था या विधायक सुनील शर्मा के प्रति अतुल गर्ग की फिक्र। इस फिक्र का जिक्र कार्यकर्ता पूरे कार्यक्रम के दौरान करते दिखाई दिये।
उन्होंने देखा कि विधायक सुनील शर्मा की कुर्सी पर विधायक अतुल गर्ग ने अपनी जैकिट रखी और उसके साथ ही खुद को मिला सम्मान प्रतीक भी रख दिया। ये दोनों चीजें तब तक कुर्सी पर रखी रहीं जब तक विधायक सुनील शर्मा की मंच पर एंट्री नहीं हुई।
जैसे ही वो मंच पर आये वैसे ही अपने साथी विधायक के सम्मान में अतुल गर्ग ने अपनी जैकिट अपने हाथ में ले ली, और मुस्कुराकर उनका स्वागत किया। कुर्सी के इस किस्से को देखने वाले इसे रखवाली के रूप में भी लेते हुए नजर आये। चर्चायें यही हो रही थीं कि यहां तो पांच मिनट में कुर्सी को उसका दावेदार मिल
जाता है।
कार्यक्रम में विधायक सुनील शर्मा की कुर्सी तो लगभग डेढ़ घंटे तक खाली थी। नहीं रखते अगर उनके साथी विधायक उनकी कुर्सी पर अपनी जैकिट तो मुश्किल बड़ी रखवाली थी। बहुत दिनों बाद कोई ऐसा नजारा नजर आया, जहां कुर्सी पूरे डेढ़ घंटे तक खाली थी।