वन बाई वन दिये सवालों के जवाब और कहा शहर की ट्रैफिक व्यवस्था जायेगी सुधर
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। नगरायुक्त महेन्द्र सिंह तंवर सही मायनों में विजनरी अधिकारी हैं। विषय पर पूरी पकड़ है और विनम्रता के साथ सामने वाले को बिना किसी अकड़ के बात समझाते भी हैं। निगम की बोर्ड बैठक में वो एक सधे हुए खिलाड़ी की तरह नजर आये। 110 पार्षद और मेयर के बीच उन्होंने हर मुददे पर मोर्चा संभाला। यहां जब सवाल पार्किंग नीति को लेकर उठा तो नगरायुक्त ने वन बाई वन सभी सवालों के जवाब दिये और कहा कि कुछ चीजें हमें करनी ही पड़ती हैं और शुरूआत कहीं ना कहीं से होती है। पार्किंग की नई नीति को लेकर उन्होंने बिना किसी का नाम लिये कहा कि जब कुछ चीजें नहीं करनी होती हैं तो डिले टैक्टिस शुरू हो जाती है। पार्किंग नीति को लेकर हमारी प्लानिंग पूरी है लेकिन बार बार कहा जा रहा है कि इस चीज को देख लिया जाये, उस चीज को देख लिया जाये। फुल प्रूफ की बात हो रही है और लाईफ में फुल प्रुफ कुछ नहीं होता। शुरूआत कहीं से तो करनी पड़ेगी और साल भर से यही चर्चा है कि इसको ऐसे कर लें या इसको वैसे कर लें। नगरायुक्त ने सवालों के जवाब दिये और शंकाओं का समाधान किया। नगरायुक्त की डिले टैक्टिस वाली बात पर सीनियर पार्षद राजेन्द्र त्यागी ने खुलकर अपनी नाराजगी का भी इजहार किया।
आरक्षण के डर ने लगा दी पार्षदों की जुबान पर लगाम
गाजियाबाद (करंट क्राइम)। निगम की बैठक और इस बैठक वाले मैच में एक बड़ा पैच तब दिखाई दिया जब मुखर होकर बोलने वाले पार्षद साईलेंट अंदाज में बैठे दिखाई दिये। सदन की बैठक में दस या 12 पार्षद मुददों को उठा रहे थे। आवाज को लाउड कर रहे थे। इस तरह से वो खुद में फील एक प्राउड कर रहे थे मगर यहां पर बाकी पार्षद एक क्राउड की तरह बैठे थे और पूरी कार्यवाही को फिल्म की तरह चुपचाप देख रहे थे। इतना सन्नाटा क्यों है का सवाल जब बाहर आया तो विपक्षी पार्षदों की जुबान से असली राज ही बाहर निकल आया। विपक्षी पार्षद ने खामोशी का राज बताया और कहा कि बोल तो बहुत सकते हैं लेकिन फिलहाल लबों पर ताला है। क्योंकि आपको पता नहीं निगम इलेक्शन आने वाला है। टिकट देना पार्टी के हाथ में है मगर पर्चा कौन भरेगा ये वाली चाबी निगम अफसरों के हाथ में है। खतरा ये है कि ज्यादा बोलेंगे तो नजरों में आ जायेंगे और नजरों में आ गये तो दावेदारी पर उम्मीदवारी पर खतरे के बादल आ जायेंगे। क्योंकि वार्ड का आरक्षण अभी बाकी है और यदि आरक्षण बदल गया तो बहुत कुछ बदल जायेगा। इसलिए आरक्षण के डर से कई पार्षदों की जुबान पर ताला है। विपक्षी पार्षद भी खामोश बैठे हैं और मुददों से ज्यादा जरूरी ये है कि अगले सदन में आने का मौका मिले। मौका तब मिलेगा जब टिकट मिलेगा और टिकट का सीन कई बार आरक्षण की वजह से बदल जाता है।
जब पार्षद संजय सिंह का प्रस्ताव मेयर ने दिया फाड़
निगम की बैठक में उस समय अजीब स्थिति हुई जब भाजपा पार्षद का प्रस्ताव मेयर ने फाड़ दिया। दरअसल संजय सिंह भाजपा पार्षद हैं और वार्ड 100 की नुमार्इंदगी करते हैं। वह डॉग्स से रिलेटिड प्रस्ताव लेकरआये थे। उनका कहना था कि कुछ लोग प्रोफेशनल डॉग पालन करते हैं। ऐसे में ब्रीडिंग पर कार्यवाही होना जरूरी है। अब इस पर किसी ने कहा कि यह प्रस्ताव बोर्ड बैठक का हिस्सा नही है। इसलिए इसपर कोई बहस नही होगी। यहां पर संजय सिंह ने मेयर से कहा कि वह उनके प्रस्ताव को बोर्ड बैठक का हिस्सा बनायें, अपने अनुमोदन से इस प्रस्ताव को पास करें। इसी बीच सदन में बैठे पार्षदों ने संजय सिंह का विरोध शुरू कर दिया और सदन से आवाज आने लगी कि इस प्रस्ताव को फाड़ दो। पीछे से आ रही इन आवाजों को मेयर ने गौर से सुना और इतना गौर किया कि प्रस्ताव को फाड़ दिया। इसके बाद पार्षद संजय सिंह भी असहज हो गये और उन्होंने इसे अपना अपमान बताते हुए आपत्ति जताई। मेयर ने कहा कि इस प्रस्ताव को अगली बैठक में रख लिया जायेगा।
Discussion about this post