गाजियाबाद (करंट क्राइम)। गाजियाबाद कमिश्नरेट सिस्टम लागू हो गया है। यहां पहले सीपी आ गए हैं और उन्होंने अपनी वर्किंग शुरू कर दी है। कुछ अधिकारियों को कमिश्नरेट सिस्टम में विस्तार करने और आॅफिस से लेकर कमिश्नर कोर्ट शुरू कराने की जिम्मेदारी सौंप दी गई है। इसी बीच सूत्रों का दावा है कि जल्द ही गाजियाबाद में कुछ और आईपीएस अधिकारियों की आमद एवं रवानगी का आदेश मिल सकता है। तो वहीं जिले में अभी कुछ और एसीपी स्तर के अधिकारियों को बुलाया जाएगा। लखनऊ पुलिस मुख्यालय के सूत्रों पर भरोसा किया जाए तो जल्द ही गाजियाबाद में कुछ अधिकारियों के फेस बदले जाएंगे। तो सर्किलों में भी बड़ा उलटफेर हो सकता है। पहले कमिश्नर ने जिले के अधिकारियों के साथ बातचीत और आने वाले दिनों में वर्किंग स्ट्रेटजी बनानी शुरू कर दी है।
पहले की तरह फिर आईपीएस अधिकारियों वाली टीम पूरी मंत्रणा का हिस्सा बनी हुई है। सूत्र बता रहे हैं कि जब अधिकारी नए आते हैं और वह अपनी टीम बनाते हैं तो सर्किल से लेकर थानों के स्तर पर फेरबदल हो जाता है। ऐसा ही कयास कमिश्नरी सिस्टम लागू होने के बाद भी लगाया जा रहा है, क्योंकि अभी आचार संहिता लागू होने में समय है और उससे पहले सीपी गाजियाबाद अपनी नई टीम को चुनकर तैयार करना चाह रहे हैं, ताकि आने वाले दिनों में वह बेहतर ढंग से गाजियाबाद कमिश्नरेट के कार्य प्रणाली को संचालित कर सकें।
कई जा सकते हैं कमिश्नरेट सिस्टम से बाहर भी
गाजियाबाद पुलिस आयुक्त कार्यालय और पुलिस लाइन से लेकर अलग-अलग सर्किलो में एक चर्चा हो रही है कि गाजियाबाद में अपना समय पूरा कर चुके अधिकारी कमिश्नरेट सिस्टम से आउट हो सकते हैं। तो वहीं कुछ ऐसे भी पुलिस के अधिकारी और इंस्पेक्टर स्तर के कर्मचारी हैं जिनको उम्मीद थी कि उनको जिले में कोई जिम्मेदारी मिलेगी लेकिन जब उन्हें जिम्मेदारी नहीं मिली है, तो वह चार्ज पाने की इच्छा में दूसरे जिलों की तरफ भी कूच कर सकते हैं। वहीं जिले में कुछ अधिकारियों का दिसंबर में रिटायरमैंट होने वाला है तो कुछ ऐसे भी हैं जिनका जिले में तैनाती का समय पूरा होने को है। कुल मिलाकर चर्चा इस बात की है कि नए सीपी की टीम का कौन अधिकारी हिस्सा बनता है और कौन इस जिले से दूसरे जिले के लिए रवाना होता है। वैसे पुलिस की नौकरी में कहा जाता है कि आमद और रवानगी लगी रहती है लेकिन जब अधिकारियों के स्तर पर बदलाव होता है तो माना जाता है कि निचले अधिकारियों के फेस और कुर्सियां भी बदल ही जाती हैं। अब देखना होगा कि गाजियाबाद के पहले सीपी कब अपनी पहली तबादला लोकल एक्सप्रेस रवाना करते हैं और वह किस किसको इसमें सवार करते हैं और कौन वेटिंग में रखा जाता है।
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