गाजियाबाद (करंट क्राइम)। 17 दिसंबर 2022 को राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल के नेतृत्व में सभी सम्मानित विधायक गण जिसमें सुनील शर्मा , अतुल गर्ग , नंदकिशोर गुर्जर एवं अजीत पाल त्यागी एवं महानगर अध्यक्ष संजीव शर्मा के साथ मेरे कार्यालय पर आए थे। बातचीत के दौरान एक प्रस्ताव पास किया गया जिसमें लिखा गया कि कोई भी जनप्रतिनिधि के परिवार का कोई सदस्य अथवा उनका सहयोगी नगर निकाय चुनाव के आवेदन के संबंध में ना तो बात करेगा और ना ही उनसे कोई बायोडाटा लेगा। पत्र से प्रतीत हो रहा था कि यह प्रस्ताव सांसद वी के सिंह को टारगेट करने वाला है। अपने संस्कार और अतिथि सत्कार प्रेमी स्वभाव के कारण मैंने उनके इस प्रस्ताव पर हस्ताक्षर तो किए किंतु में मन से असहमत था क्योंकि यह प्रस्ताव कार्यकतार्ओं को जनप्रतिनिधियों से भी दूरी बनाने वाला था। पत्र को मीडिया को जारी कर दिए जाने के कारण मैंने भी अपना खंडन पत्र समाचार पत्रों को भिजवाया।
मेरे खंडन पत्र पर आज सभी विधायकों और राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल की प्रतिक्रिया को पढ़कर मुझे बहुत कष्ट हुआ। सभी की प्रतिक्रियाओं में लगभग समानता दिखी। उन्होंने यह स्पष्ट करने का प्रयास किया है कि मैंने किसी के दबाव में अपना खंडन पत्र जारी किया और उन्होंने सांसद वीके सिंह के बारे में कोई टिप्पणी नहीं की। मैंने खंडन पत्र किसी दबाव के कारण नहीं बल्कि कार्यकर्ताओं के मान सम्मान के लिए जारी किया। मेरा यह भी मानना है कि जिस बात के लिए यह प्रस्ताव पास किया गया वह वात ना तो किसी विधायक के ऊपर लागू होती है ना राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल पर और ना मुझ पर क्योंकि हम में से किसी की भी परिवार का कोई सदस्य अथवा सहयोगी नगर निकाय के चुनाव- को लेकर कार्यकतार्ओं से ना तो बायोडाटा ले रहा है और ना उनसे बात कर रहा है। तो फिर इस प्रस्ताव की आवश्यकता क्यों पड़ी कोई सामान्य व्यक्ति भी इस पत्र के आशय को समझ सकता।
मैं यह भी स्पष्ट कर दूं कि सर्वप्रिय लोकप्रिय विकास पुरुष केंद्रीय राज्यमंत्री माननीय वीके सिंह जो गाजियाबाद को ना केवल अपना परिवार मानते हैं बल्कि प्रत्येक नागरिक के सुख दुख में उपस्थित रहते हैं । जनरल वीके सिंह ना केवल देश में बल्कि देश हित में देश से बाहर जाकर भी लोगों की जान बचाने से लेकर सरकार के नीतिगत फैसलों को तय करने के लिए जाते रहते यह हमारे लिए गर्व की बात है। उनकी अनुपस्थिति में जो पत्र लिए जाते हैं वह उनके परिवार के किसी सदस्य द्वारा या सहयोगी द्वारा लिए जाते होगें। कृपया राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल बताए कि इस प्रस्ताव के पीछे क्या मंशा रही थी। मेरे लिए राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल एवं सभी विधायक एवं महानगर अध्यक्ष सम्माननीय हैं। वरिष्ठ है मैं सभी का हृदय से सम्मान करता हूँ लेकिन समाचार पत्रों पर मेरे ऊपर जो टिप्पणी की गई है उससे मुझे आघात पहुंचा है।
अपनी प्रतिक्रियाओं में उन्होंने सत्य छुपाने का काम किया है तथा प्रस्ताव के छुपे उद्देश्य को मोड़ने का काम किया है। जहां तक सभी ने अपनी प्रतिक्रिया में कहा है कि महापौर दावेदारी के समर्थन जैसी कोई बात नहीं थी तो मैं स्पष्ट कर दूं कि मेरे कार्यालय आने पर कार से उतरते ही राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल ने यह कहा था कि हम सभी संजीव शर्मा जी के महापोर दावेदारी के समर्थन में आए हैं।
मेरे खंडन पत्र जारी किए जाने के बाद राज्यसभा सांसद अनिल अग्रवाल का फोन मेरे पास आया और जिस प्रकार की अमर्यादित भाषा का प्रयोग किया उसे सुनकर मुझे बहुत कष्ट हुआ मुझे आश्चर्य हुआ कि एक डॉक्टर और इंजीनियर की डिग्री लेने वाला देश के लोकतंत्र के उच्च सदन का सदस्य ऐसी भाषा का प्रयोग कैसे कर सकता है। ना तो मेरा कभी किसी से भी राजनीतिक विवाद रहा है ना है और न रहेगा। किंतु सत्य बताना मेरा राजनीति धर्म है। मेरी यह भी अपील है कि हमारे पार्टी के सभी जनप्रतिनिधि गण राजनीतिक प्रतिद्वदिता से ऊपर उठकर पार्टी को मजबूत करने का काम करें ऐसे प्रस्तावों से पार्टी कहीं ना कहीं कमजोर होती है। भवदीय
(दिनेश कुमार गोयल)
सदस्य विधान परिषद उ०प्र० मेरठ खरड स्नातक क्षेत्र